लेखनी कविता - शून्य से टकरा कर सुकुमार -महादेवी वर्मा

50 Part

52 times read

0 Liked

शून्य से टकरा कर सुकुमार -महादेवी वर्मा  शून्य से टकरा कर सुकुमार  करेगी पीड़ा हाहाकार, बिखर कर कन कन में हो व्याप्त  मेघ बन छा लेगी संसार! पिघलते होंगे यह नक्षत्र ...

Chapter

×